US Elections 2024:
भारत जैसे बड़े देशों के लिए अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव बहुत मायने रखता है. सवाल ये है कि डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस… किसके जीतने में भारत का ज्यादा हित है. आइए समझते हैं अमेरिकी चुनाव 2024 में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में किसके जीतने की ज्यादा संभावना है?
आज अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है. जो भी सर्वे सामने आए हैं, उनके मुताबिक़ ये चुनाव इतना क़रीबी है कि एक चूक से डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस में से किसी को भी दो या तीन पॉइंट का फ़ायदा हो सकता है.
दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सबसे ताकतवर नेता के चुनाव पर दुनियाभर की निगाहें लगी हुई हैं. अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मंगलवार यानी 5 नवंबर को वोटिंग होनी है. अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में वहां के स्थानीय समय के मुताबिक, सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक वोटिंग होगी. भारत जैसे बड़े देशों के लिए अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव बहुत मायने रखता है. सवाल ये है कि डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस… किसके जीतने में भारत का ज्यादा हित है.
आइए समझते हैं अमेरिकी चुनाव 2024 में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में किसके जीतने की ज्यादा संभावना है? अगर ट्रंप जीते तो भारत को क्या नफा-नुकसान हो सकता है? अगर कमला हैरिस जीतीं, तो भारत पर क्या फर्क पड़ सकता है. आखिर दोनों में से भारत के लिए बेहतर कौन है
भारत के लिए कमला हैरिस की जीत के मायने?
कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं. उनकी मां श्यामला गोपालन तमिलनाडु की हैं और पिता जमैका के रहने वाले हैं. अमेरिका में उनके माता-पिता की मुलाकात हुई. जिसके बाद उनकी शादी हो गई. बाद में दोनों ने तलाक ले लिया. कमला हैरिस कई बार अपनी मां के साथ चेन्नई में नाना के घर जा चुकी हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या कमला को भारत पसंद है?
कश्मीर को लेकर रुख स्पष्ट नहीं
कमला हैरिस के हालिया बयानों और पिछले मुद्दों पर उनके रुख को देखते हुए यह कहना मुश्किल होगा कि वह वास्तव में भारत में समर्थक हैं या नहीं. दरअसल, भारत ने अगस्त 2019 में जब जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को निरस्त किया, तो हैरिस ने इसके खिलाफ बयान दिया था. कमला हैरिस ने कहा था, “हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं. हम इस स्थिति पर नजर रख रहे हैं. अगर स्थिति की मांग होती है, तो हमें दखल देने की जरूरत है.”
भारत के मुद्दों पर चुप ही रही हैं कमला हैरिस
दूसरी ओर, बतौर अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस भारत के मुद्दों पर कमोबेश चुप ही रही हैं. PM मोदी जब अमेरिका के स्टेट विजिट पर गए थे, तब उनकी कमला हैरिस के साथ भी मुलाकात हुई थी. लेकिन मुलाकात की तस्वीरों में दोनों के बीच कोई केमेस्ट्री नहीं देखने को मिली थी. वहीं, बाइडेन प्रशासन ने भारत के कई घरेलू मुद्दे पर बयानबाजी की है. अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों के मुद्दे पर वहां के मंत्रियों ने भारत में लोकतंत्र की स्थिति को लेकर सवाल भी उठाए हैं.
डोनाल्ड ट्रंप जीतते हैं, तो भारत को क्या होगा फायदा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के रिश्ते काफी गर्मजोशी भरे रहे हैं. ट्रंप के दौर में प्रधानमंत्री मोदी की उनसे जितनी मुलाकात हुई, वो जोश से भरी रही. चाहे वो अमेरिका में हुई हों या फिर भारत में… ट्रंप कई बार प्रधानमंत्री मोदी की सार्वजनिक तौर पर तारीफ कर चुके हैं और उन्हें अपना अच्छा दोस्त बता चुके हैं. उधर, 2020 के अमेरिकी चुनावों से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने स्लोगन दिया था ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’. ये अलग बात है कि ट्रंप वो चुनाव हार गए, लेकिन दोनों नेताओं की दोस्ती बनी रही. अब देखना है कि ये दोस्ती क्या भारत के लिए भी मुफीद साबित होगी.
भारत के अंदरूनी मामलों में कम होगा दखल
कई जानकार मानते हैं कि जो बाइडेन के दौर के मुकाबले ट्रंप के दौर में भारत के अंदरूनी मामलों में दखल कम रहेगा. बाइडेन सरकार में हमने देखा था कि भ्रष्टाचार के आरोप में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका के विदेश विभाग ने टिप्पणी की थी. भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था. ट्रंप के दौर में ऐसा होने की संभावना काफी कम दिखती है.
ये ट्रंप या हैरिस के आराम से चुनाव में जीत हासिल करने के लिए काफ़ी है.
अगर डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति चुनाव जीत जाते हैं तो अमेरिका के 130 साल के इतिहास में पहली बार होगा कि पिछली बार चुनाव में हारने वाला तत्कालीन राष्ट्रपति फिर से राष्ट्रपति बनेगा.
1. डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में नहीं हैं
अर्थव्यवस्था अमेरिका के वोटरों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है. अमेरिका के लोगों का कहना है कि उन्हें हर रोज़ महंगाई का सामना करना पड़ रहा है. 1970 के दशक के बाद महंगाई इस स्तर पर पहुंच गई है कि ट्रंप को यह कहने का मौक़ा देती है, “क्या आप चार साल पहले की तुलना में अब बेहतर स्थिति में हैं?”
साल 2024 में दुनियाभर में वोटरों ने कई सत्ताधारी दल को सत्ता से बाहर किया है मतदाताओं ने ऐसा कोरोना काल के बाद रहने के लिए ख़र्च बढ़ने जैसे कारणों से किया है. ऐसा लग रहा है कि अमेरिकी मतदाता भी बदलाव चाहते हैं. सिर्फ़ 26 प्रतिशत अमेरिकी ही देश जिस तरीके से आगे बढ़ रहा है, उससे संतुष्ट हैं. हैरिस ने अपने आपको बदलाव के एक चेहरे के तौर पर पेश किया है लेकिन उन्हें उपराष्ट्रपति होने के कारण ऐसा करने में मुश्किल हो रही है.
2. डोनाल्ड ट्रंप पर कोई असर नहीं हुआ
तीन साल पहले यानी छह जनवरी 2021 को वॉशिंगटन के कैपिटल हिल में दंगा होना और आपराधिक मामलों में कटघरे में होने के बाद भी डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन इन सभी सालों में 40 प्रतिशत या इससे अधिक बना हुआ है. डेमोक्रेट्स कहते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के लिए सही नहीं हैं. वहीं अधिकतर रिपब्लिकन ट्रंप की इस बात से सहमत हैं कि वो राजनीतिक बदले की भावना का शिकार हुए हैं. ट्रंप को बस उन मतदाताओं के एक छोटे से हिस्से के वोट हासिल करने हैं जो कि अभी तक तय नहीं कर पाए हैं कि वो किसके साथ हैं.
3. डोनाल्ड ट्रंप की अवैध प्रवासियों पर सख़्ती
अर्थव्यवस्था की स्थिति से परे चुनाव में जीत अक्सर भावनात्मक मुद्दे भी तय करते हैं. जहाँ एक तरफ़ डेमोक्रेट्स को उम्मीद है कि ये भावनात्मक मुद्दा उसके लिए गर्भपात होगा तो वहीं ट्रंप ने इमिग्रेशन के मामले पर दांव लगाया है. जो बाइडन के शासन में सीमा क्षेत्रों पर मुठभेड़ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद सर्वेक्षणों में सामने आया है कि इमिग्रेशन के मुद्दे पर लोग अधिक विश्वास ट्रंप पर करते हैं.
4. डोनाल्ड ट्रंप की अपील
डोनाल्ड ट्रंप ने उन वोटरों से अपील की है जो कि भूला दिए गए हैं या अपने आप को पीछे छूटा हुआ महसूस कर रहे हैं. ट्रंप ‘स्विंग स्टेट्स’ के ग्रामीण और सबअर्बन हिस्से में मत हासिल करते हैं तो ये कॉलेज से पढ़े हुए लोगों के वोट नहीं मिलने के नुकसान की संभावना की वो भरपाई कर सकते हैं.अमेरिका में ‘स्विंग स्टेट्स’ वे राज्य हैं, जहाँ मतदाताओं की प्राथमिकता स्पष्ट नहीं होती और ये चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं.